मैं बता दूँ कि मैं रवीश कुमार को बड़े मन से देखता हूँ। उसका यूँ सधे अंदाज़ में सरल हिंदी में किसी मुद्दे का माहौल बनाना फिर सबसे ज्यादा ‘पीड़ित’ पैनलिस्ट से शुरुआत करना। जनता की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए आरंभ में शिक्षाप्रद प्रश्न पूछना। उसके बाद धीरे धीरे एजेंडा सेटिंग करना।