आज वही पिता दुसरे की दूकान में छोले-पटूरे का कारीगर है और उसका बेटा बेकार घूम रहा है| आखिरकार देश में मंदी के दौर से जो गुज़र रहा है| परन्तु हमारे प्रधान-मंत्री देश-दुनिया घूमने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते|
आज वही पिता दुसरे की दूकान में छोले-पटूरे का कारीगर है और उसका बेटा बेकार घूम रहा है| आखिरकार देश में मंदी के दौर से जो गुज़र रहा है| परन्तु हमारे प्रधान-मंत्री देश-दुनिया घूमने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते|