कुछ लोगो का कहना है कि व्यापारियों ने पैसा देकर चीन से दिवाली का सामान खरीद लिया है| अब यदि लोग ये सामान नहीं खरीदते तो चीन को नहीं बल्कि भारतीय व्यापारियों को नुक्सान होगा|
उनकी बात एकदंम तर्कपूर्ण है| परन्तु यदि इसबार व्यापारियों को नुक्सान से बचा लिया जाए तो अगले साल फिर वे चीन सामान लायेंगे क्योंकि पिछले साल भी व्यापारियों ने यही तर्क दिया था|
चीन के सामान का वहिष्कार केवल इसलिए नहीं करना है कि वह भारत को ऊँगली कर रहा है बल्कि इसलिए भी कर रहा है कि अपना सस्ता सामान भारतीय बाज़ार में दाल कर स्थानीय कुटीर उद्ध्योग जैसे दिया या मिटटी के खिलौने बनाना, चौपट कर रहा है|
यह सही है कि सारे चीनी समाना का वहिष्कार मुश्किल है क्योंकि बहुत सी कंपनी अपने सामान का उत्पाद चीन में कर उसे भारत में बेचती है| फिर भी जिस सामान का वहिष्कार किया जा सकता है और जिस सामान से हमारा कुटीर उद्ध्योग बंद हो रहा है, उनका वहिष्कार होना ही चाहिए|
याद रखिये विदेशी कपडे के वहिष्कार का आवाहन देते हुए गाँधी जी ने विदेशी कपड़ो का परित्याग करने को कहा था क्योंकि इन विदेशी कपड़ो के कारण हमारा कपडा उद्द्योग चौपट हुआ था| और उस समय भी व्यापारियों के नुक्सान पर बहुत रोना हुआ था|
यह भी याद रखिये कि गाँधी जी ने विदेशी कपड़ो के परित्याग करते समय अन्य विदेशी वस्तु, जैसे रेल, डाक, कार, जहाज़ इत्यादि, के उपयोग छोड़ने के लिए नहीं कहा था|
आशा है जो मित्र बीजेपी और मोदी विरोध में अंधे होकर. देश-हित को भूल रहे होंगे, वे इस लेख को ज़रूर पढेंगे|
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